रूस-यूक्रेन जंग पर ट्रंप का अल्टीमेटम, भारत के लिए क्यों बन सकती है यह डेडलाइन खतरा?

स्कॉटलैंड
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी डेडलाइन दोहराई है. उन्होंने रूस को यूक्रेन के साथ युद्ध खत्म करने के लिए एक बार फिर 10-12 दिन की नई समय सीमा दी है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर रूस इस समय सीमा में शांति समझौता नहीं करता, तो उसे कड़े प्रतिबंधों और टैरिफ का सामना करना पड़ेगा. ट्रंप ने यह बयान स्कॉटलैंड में ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर के साथ मुलाकात के दौरान दिया.
ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर नाराजगी जताते हुए एक बार फिर दोहराया है – ‘मैं पुतिन से बहुत निराश हूं. मैंने पहले 50 दिन का समय दिया था, लेकिन कोई प्रगति नहीं दिख रही. इसलिए अब मैं 10-12 दिन की नई समय सीमा तय कर रहा हूं. इस इंतजार का कोई कारण नहीं है.‘ ट्रंप का ये बयान सिर्फ रूस के लिए भारत और चीन जैसे देशों के लिए भी धमकी है, जो रूस से ऊर्जा व्यापार करते हैं.
रूस बोला- ‘अल्टीमेटम गेम खतरनाक‘
क्रेमलिन की ओर से इस पर फिलहाल तो जवाब नहीं आया है लेकिन पूर्व रूसी राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने X पर लिखा है कि ट्रंप का यह अल्टीमेटम गेम खतरनाक है और इससे अमेरिका के साथ युद्ध की स्थिति बन सकती है. उन्होंने कहा कि हर नया अल्टीमेटम युद्ध की ओर एक कदम है, न कि रूस-यूक्रेन के बीच, बल्कि अमेरिका के साथ. 14 जुलाई को ट्रंप ने रूस को 50 दिन का समय दिया था, जिसमें शांति समझौते की बात थी, नहीं तो रूस और उसके व्यापारिक साझेदारों पर 100 फीसदी सेकेंडरी टैरिफ लगाने की धमकी दी थी. अब इस समय सीमा को घटाकर 10-12 दिन कर दिया गया है. ट्रंप ने यह भी कहा कि वह जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा करेंगे.
भारत पर अमेरिका बढ़ाएगा टैरिफ
यह कदम रूस के तेल निर्यात पर निर्भर देशों- जैसे भारत और चीन, के लिए चिंता का विषय है. भारत साल 2025 में अपनी 40 फीसदी तेल की जरूरतें रूस से पूरी करता है. दरअसल साल 2022 में यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया. बावजूद इसके भारत ने रियायती दरों पर रूसी तेल खरीदा. जनवरी-जून 2025 में भारत ने रूस से प्रतिदिन 17.5 लाख बैरल तेल आयात किया, जो पिछले साल से 1 फीसदी ज्यादा है. पश्चिमी देश इसे लेकर भारत की आलोचना करते रहते हैं. डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि ये प्रतिबंध रूस की अर्थव्यवस्था को कमजोर करेंगे, जो युद्ध के लिए तेल बिक्री पर निर्भर है.
भारत पर क्या होगा असर?
अगर अमेरिका भारत पर 100 फीसदी टैरिफ लगाता है तो तेल की लागत दोगुनी हो सकती है, जिससे पेट्रोल-डीजल की कीमतें 8-12 रुपये प्रति लीटर बढ़ सकती हैं. इससे महंगाई बढ़ेगी और उपभोक्ता सामान, जैसे खाद्य पदार्थ और परिवहन, महंगे हो जाएंगे. भारत के फार्मास्यूटिकल्स, कपड़ा, आईटी सेवाएं, और ऑटो पार्ट्स जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों पर 100 फीसदी टैरिफ से भारी नुकसान होगा. अमेरिकी बाजार में भारत के $74 अरब के निर्यात प्रभावित होंगे. इससे नौकरियों और इनवेस्टमेंट पर भी असर होगा. तेल की कीमतें $120 प्रति बैरल से ऊपर जा सकती हैं, जिससे वैश्विक महंगाई बढ़ेगी. यह अमेरिकी उपभोक्ताओं को भी प्रभावित करेगा, जिससे ट्रंप की नीति पर सवाल उठ सकते हैं.
अमेरिका और रूस के साथ रिश्तों पर क्या असर?
भारत और अमेरिका साल 20230 तक $500 अरब व्यापार और एक प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते पर काम कर रहे हैं. टैरिफ की वजह से प्रोसेस प्रभावित हो सकता है. भारत का रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा में पुराना संबंध है. टैरिफ भारत को रूस से दूरी बनाने के लिए मजबूर कर सकता है. हालांकि भारत ने ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता बताते हुए दोहरे मापदंडों की आलोचना की है. इतना ही नहीं टैरिफ की वजह से भारत ब्रिक्स गठबंधन की ओर झुक सकता है और दूसरे कई देशों की तरह अमेरिकी जीपीएस सिस्टम से भी किनारा कर सकता है.